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गिलोय

आपके लिए गिलोय के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी लेकर आये हैं। यह औषधि गरीब के घर की डॉक्टर समान है। गिलोय लगभग भारत में सभी जगह पायी जाती है।
हमेशा हरी-भरी रहने वाली यह लता कई वर्षो तक फूलती और बढ़ती रहती है। इसके बेल वृक्षों की सहायता से बढ़ती रहती है। नीम के वृक्ष पर चढ़ी गिलोय को सबसे उत्तम माना जाता है। इसके वृक्ष के लते खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों पर भी फैल जाते हैं। गिलोय के पत्ते दिल के आकार के पान के पत्तों के समान होते हैं। इन पत्तों का व्यास 2 से 4 इंच होता है तथा ये चिकने होते हैं। गिलोय के फूल छोटे-छोटे गुच्छों में लगते हैं जो गर्मी के मौसम में आते हैं। गिलोय के फल मटर के समान अण्डाकार, चिकने गुच्छों में लगते हैं जो पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं तथा इसके बीज मुडे़ हुए तिरछे दानों के समान सफेद और चिकने होते हैं। गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा होती है। यदि आप ऐसी जड़ी बूटी की खोज कर रहे हैं जो कि आपकी अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करे? तो आपके लिए गिलोय से बेहतर दूसरा कोई विकल्प नहीं हो सकता। यह आपको बहुत लाभ प्रदान कराता है।
गिलोय का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है। ये एक बेहतरीन पावर ड्रिंक भी है। ये इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है, जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार अधिकांश मनुष्य वात विकारों से पीड़ित होते हैं और गिलोय के रस और पत्तियों में वात विकारों को दूर करने की गुणकारी औषधि होती है। गिलोय की बेल को टुकड़े-टुकड़े करके, उनका रस निकालकर इस्तेमाल किया जाता है। इसका रस कड़वा और कसैला होता है। गिलोय का पौधा अपने गुणों के कारण वात, पित्त और कफ से पैसा विभिन्न बीमारियों को ठीक करती है।
गिलोय के सेवन से अर्श (बवासीर), खांसी, हिचकी, मूत्राअवरोध, पीलिया, अम्लपित्त, एसिडिटी, आँखों के रोग, मधुमेह, खून में शूगर आदि रोग ठीक हो जाते हैं। आयुर्वेद में गिलोय का प्रयोग सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी को ठीक करने में विशेष रूप से किया जाता है। रक्तवर्द्धक होने के कारण यह खून की कमी यानी एनीमिया में बहुत लाभ पहुंचाती है। रक्तातिसार और प्रवाहिका रोग में जब पेट में कोई खाद्य नहीं पचता है तो गिलोय के सेवन से बहुत लाभ होता है। गिलोय पुरानी पैत्तिक और रक्तविकार वाले बुखारों का ठीक कर सकती है। यह खांसी, पीलिया, उल्टी और बेहोशीपन को दूर करने के लिए लाभकारी है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्ट करता है। भूख को खोलता है। वीर्य को पैदा करता है तथा उसे गाढा करता है, यह मल का अवरोध करती है तथा दिल को बलवान बनाती है।
आइये जानते हैं गिलोय के औषधीय फायदों के बारे में:-
1.खून की कमी दूर करे:-
खून की कमी दूर करने के लिए गिलोय के पत्तों का इस्तेमाल करना आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा। गिलोय खून की कमी दूर करने में सहायक है। इसे घी और शहद के साथ मिलाकर लेने से खून की कमी दूर होती है।
2.डेंगू के लिए:-
गिलोय का रस खू में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाता है और डेंगू बुखार के लक्षण को भी दूर करता है। गिलोय के साथ तुलसी के पत्ते प्लेटलेट की गिनती को बढ़ाते हैं और डेंगू से लड़ते हैं। गिलोय के अर्क और शहद को एक साथ मिलाकर पीना मलेरिया में उपयोगी होता है। बुखार के लिए 90% आयुर्वेदिक दवाओं में गिलोय का उपयोग एक अनिवार्य घटक के रूप में होता है।
3.पाचन तंत्र के लिए:-
पाचन क्रिया के लिए आधा ग्राम गिलोय पाउडर को कुछ आंवला के साथ नियमित रूप से लें। अच्छे परिणाम के लिए, गिलोय का रस छाछ के साथ भी लिया जा सकता है। यह उपाय बवासीर से पीड़ित रोगियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पेट से जुड़ी कई बीमारियों में गिलोय का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। इससे कब्ज और गैस की प्रॉब्लम नहीं होती है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
4.एसिडिटी के लिए:-
गिलोय के रस का सेवन करने से ऐसीडिटी से उत्पन्न अनेक रोग जैसे- पेचिश, पीलिया, पेशाब से सम्बंधित रोग तथा आंखों के रोग से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा गिलोय के रस में कुष्माण्ड का रस और मिश्री मिलाकर पीने से अम्लपित्त की विकृति नष्ट हो जाती है।
5.दिल की कमजोरी दूर करे:-
गिलोय के रस का सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होती है। इस तरह दिल को शक्ति मिलने से विभिन्न प्रकार के दिल संबन्धी रोग ठीक हो जाते हैं।
6.बवासीर के लिए:-
बवासीर के लिए 20 ग्राम हरड़, गिलोय, धनिया को लेकर मिला लें तथा इसे 5 किलोग्राम पानी में पकाएं जब इसका चौथाई भाग बाकी रह तब इसमें गुड़ डालकर मिला दें और फिर इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।
7.जोड़ों के दर्द में:-
गिलोय के 2-4 ग्राम का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
8.आंखों की रौशनी बढ़ाए:-
गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे पीपल के चूर्ण और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है तथा और भी आंखों से सम्बंधित कई प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
9.नंपुसकता दूर करे:-
गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ खाने से संभोग शक्ति में वृद्धि होती है। गिलोय का रस और अलसी वशंलोचन बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ एक हफ्ते तक सेवन करने से वीर्य गाढ़ा होता है।
10.हिचकी के लिए:-
सोंठ का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर सूंघने से हिचकी आना बंद हो जाती है। इसके अलावा गिलोय का चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण में पानी मिलाकर दूध के साथ पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
11.मधुमेह के लिए:-
अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो गिलोय निश्चित रूप से आपके लिए प्रभावी होगा। यह ब्लड प्रेशर और लिपिड के स्तर को भी कम कर सकता है। यह टाइप 2 मधुमेह के इलाज को बहुत आसान बनाता है। मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से रक्त शर्करा के उच्च स्तर को कम करने के लिए गिलोय का जूस पीना चाहिए।
12.मोटापा कम करे:-
मोटापा कम करने के लिए हरड़, बहेड़ा, गिलोय और आंवले के काढ़े में शुद्ध शिलाजीत पकाकर खाने से मोटापा वृद्धि रुक जाती है। इसके अलावा 3 ग्राम गिलोय और 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता जाता है।
1 3.बुखार के लिए:-
सोंठ, धनियां, गिलोय, चिरायता तथा मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर इसे पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना दिन में 3 बार 1-1 चम्मच की मात्रा में लेने से हर प्रकार के बुखार में आराम मिलता है। ●जीर्ण ज्वर या 6 दिन से भी अधिक समय से चला आ रहा बुखार व न ठीक होने वाले बुखार की अवस्था में उपचार करने के लिए 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह से पीसकर, मिटटी के बर्तन में 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रात भर ढककर रख दें और सुबह के समय इसे मसलकर छानकर पी लें। इस रस को रोजाना दिन में 3 बार लगभग 20 ग्राम की मात्रा में पीने से लाभ मिलता है।
14.पेचिश एवं पीलिया के लिए:-
पेचिश दूर करने के लिए 1 लीटर गिलोय रस का, तना 250 ग्राम इसके चूर्ण को 4 लीटर दूध और 1 किलोग्राम भैंस के घी में मिलाकर इसे हल्की आग पर पकाएं जब यह 1 किलोग्राम के बराबर बच जाए तब इसे छान लें। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा को 4 गुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह-शाम पीने से पेचिश रोग ठीक हो जाता है तथा इससे पीलिया एवं हलीमक रोग ठीक हो सकता है।
15.अस्थमा के लिए:-
गिलोय की जड़ की छाल को पीसकर मट्ठे के साथ लेने से श्वास-रोग अस्थमा ठीक हो जाता है। इसके अलावा 6 ग्राम गिलोय का रस, 2 ग्राम इलायची और 1 ग्राम की मात्रा में वंशलोचन शहद में मिलाकर खाने से क्षय और श्वास-रोग ठीक हो जाता है।

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